आप अच्छे हैं तो दुनियाँ अच्छी है और दुनियां बुरी नजर आ रही है तो आप बुरे हैं...

परम पूज्य प्रशममूर्ति,योगीसम्राट, तपोनिधि,दिगम्बर जैनाचार्य 108 श्री शांतिसागर जी महाराज छाणी(उत्तर) परम्परा के 


 षष्ठपट्टाचार्य, राष्ट्रसंत, सरकोद्धारक आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज ने कहा- बंधुओं धर्म ग्रंथो में सम्यक दर्शन की बहुत चर्चा आती है और बिना सम्यक दर्शन के ज्ञान है,चरित्र है-उनका महत्व नही है।
   सम्यक दर्शन जीरो के साथ अंक की तरह है, अंक के साथ जीरो है तो जीरो की वैल्यू है और अंक नही है तो जीरो की वैल्यू नही है, उसी तरह से जीवन में सम्यक दर्शन होना बहुत जरूरी है। सम्यक दर्शन, वीतराग देव शास्त्र गुरु का श्रद्धान करना, सम्यक दर्शन सफल भेद विज्ञान, सम्यक दर्शन मानवीय गुणों से अलंकृत  होना, सम्यक दर्शन इंसानियत का जीवन,एक भारतीय नागरिक किस तरह से अपने जीवन को खुशहाल बना सकता है, तो उसको दार्शनिक शब्दों में सम्यक दृष्टि नाम से पुकारते हैं।
   बंधुओ- सम्यक दर्शन के आठ अंग हैं, वो बड़े महत्वपूर्ण हैं और जहां वे सम्यक दर्शन मुक्ति वृक्ष को हरा-भरा करते हैं,वही हमारे जीवन में सुख शांति का कारण बन सकते हैं।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रसंत, सरकोद्धारक आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज का जीवन परिचय-